सोमरस की प्रतीति सी ...
तृष्णा छलक रही है ..
क्षितिज तक नजर है लेकिन ...
वो फलक नही है |
जिस फलक सम ..ख्वाब
उड़कर परिंदों की शक्ल में ..
ले चलते हैं जहाँ
अपने पंखों में लिए कहाँ ?
वहीं जहाँ विराजता है
स्वयम्भू ईश्वर ...
ये कहते हुए कि..
आज मेरा जन्मदिन है ..!
Sunday, July 20, 2008
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