मैं नहीं माँगता वो मिले ..
जिसको न कभी मैं मिल पाऊं ..
जो भी हो बस इतना देना ..
फूलों के जैसे खिल पाऊं |
जीवन में सुख दुःख आता है ..
मन मेरा घबराता है ..
कभी भोर किरण... कभी निशा चरण ..
व्यर्थ में ये इतराता है ..
इतराहट को दूर करो ..
मन में मेरे शांति भरो ..
जो राह है मेरी निश्चित सी ..
उस पर बरबस चलता जाऊं ..
जीत मिले या हार मिले ..
प्यार मिले या वार मिले ..
समभाव मुझे दाता रखना ..
यही भाव से भर जाऊं
मैं यही भाव से भर जाऊं |
Wednesday, May 4, 2011
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