शर्माना तेरा ...
जैसे अक्स से नजरें चुराना तेरा ...
जैसे ख्वाबों की बटिया जोह के ...
फिर तेरे घर आना मेरा |
शर्माना तेरा ...
जैसे बात बात पर बच्चे सा इतराना तेरा ..
जैसे ओस की सप्तरंग छटा में प्रातः ...
निस्तब्ध सा डूब जाना मेरा |
शर्माना तेरा ...
जैसे उस अदा से नजरें झुकाना तेरा ..
जैसे नए साज को खोजता ...
वो टूटा ढोलक पुराना मेरा |
शर्माना तेरा ....
जैसे उस हंसी को अधरों में छिपाना तेरा ...
जैसे बोलने की हसरत दिल में लिए ...
हर एक शब्द भूल जाना मेरा |
शर्माना तेरा ...
जैसे उँगलियों से लट को उलझाना तेरा ...
जैसे उस लट को छूने की कोशिश में ...
हाथ से हाथ को दबाना मेरा |
शर्माना तेरा ...
जैसे भाल में सिलवटें पड़ जाना तेरा ...
जैसे तरंगिनियों के मेले में विस्मित ...
तुझ पर मर जाना मेरा |
शर्माना तेरा ...
जैसे एक कायनात के जन्म का फ़साना तेरा ...
जैसे तुझे पाने की आस में ...
प्रकृति सा शिशु बन जाना मेरा |
~वैभव
Thursday, April 9, 2009
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4 comments:
jaise bolne ki hasrat dil mein liye, har ek shabd bhool jaana mera..
aaye haaye.. majaa aa gayaa!
एक और अदभुत रचना !!
dhanyawaad ..dhanyawaad ... :D
प्रभु! कहाँ अंतर्ध्यान हो गए हैं आप?
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