Thursday, July 9, 2009

जन्म

चन्द्र की आभा लिए ...
स्वर्ग से उतरा कोई ...
नन्हा सा एक सौंदर्य ...
क्षितिज में बिखरा कहीं ... |

वो मासूमियत की ताल पर ...
है स्वर अनोखा दे रहा ...
वो दिव्य दीप की चमक में ...
बन स्फटिक प्रेम ले रहा ..|

लो खिलखिलाहट आ गयी ...
रुदन के उस खेल में ...
लो जगमगाहट छा गयी ...
उस दिव्यता के मेल में ...|

सूक्ष्म में भी सूक्ष्म है ...
जो इंगित करता जन्म है ...
उस उर की विशालता का ...
भान किन्तु आजन्म है .. |

सबमें वो जुडा हुआ है ...
सबमें वो मुडा हुआ है ...
एक सांस का प्रतीक है ...
एक अमरता का गीत है |

वो अजन्मा आज जन्मा ..
देख प्रकृति हंस रही है ..
नेकी मन में प्रफुल्लित होती ..
बदी भूतल धंस रही है |

अद्भुत सा प्रताप है ...
जो चहुँ ओर छाया है ...
एक बार फिर मुरली बजाने ...
देखो कान्हा आया है |

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