मेरा प्राण बिखर गया है ..
अंतहीन से जीवन में ..
उसने जो कहा है
मैंने जो सुना है ।
सैलाबों के आशियाने में ..
पनाह ढूंढती एक नजर ..
छुप सी गयी है ..
जब से
उसने जो कहा है ..
मैंने जो सुना है ।
मुझे कभी इल्म नहीं था तूफानों का ..
मैं गर्दिश में छुपा
रसातल में गया
उस झोंके से ..
जब से ..
उसने जो कहा है
मैंने जो सुना है ।
मोल करने लगा वो प्रीत का ..
जो गुनगुनाता था जीवन ..
अंत हुआ उस गीत का
जब से ..
उसने जो कहा है
मैंने जो सुना है ।
मेरी सांस उसकी न रही ..
न मेरी ही बची ..
सुदामा बन गया मै ..
जब से ..
उसने जो कहा है
मैंने जो सुना है ।
जिंदगी को जैसे जिया वो ..
बन के सर्कस का नट ..
मुझे ही चिढ़ा रहा है
जब से ..
उसने जो कहा है
मैंने जो सुना है ।
मेरी कमजोरी को मेरी फितरत समझ के ..
उड़ा रहा है मेरी वफ़ा के छल्ले ..
और मिट रहा हूँ मैं ..
जब से ..
उसने जो कहा है
मैंने जो सुना है ।
मुझे मोहब्बत की ख्वाहिश नहीं ..
पर नफरत के गुल ..
भी सूखे गिर पड़े है ..
जब से ..
उसने जो कहा है
मैंने जो सुना है ।
खुद से ज्यादा समझने का ऐतबार जिसपर था ..
वो बेकार पड़े धागों में ..
उलझ गया है ..
जब से ..
उसने जो कहा है
मैंने जो सुना है ।
मेरे गुनाहों का बयाना देकर ..
मुकर गया वो ये कहकर ..
की फैसला हो चुका है ..
जब से ..
उसने जो कहा है ..
मैंने जो सुना है ।
गिरने से तो डर कभी न लगा ..
हाथ झटक कर ..
अकेले !!
चलने की सौगात मिली ..
जब से ..
उसने जो कहा है ..
मैंने जो सुना है ।
साये को निगल लिया अँधेरे ने ..
मैं नग्न हो गया ..
खुद को छिपाए भटकता हूँ ..
जब से ..
उसने जो कहा है ..
मैंने जो सुना है ।
उसके जाने के बाद अब सोचा कि ..
खुदा क्या है ?
ढूढता हूँ तबसे ..
जब से ..
उसने जो कहा है ..
मैंने जो सुना है ।
1 comment:
ha ha ha .. :)
re cheelu re.. ye kya likh diya.. bada heartfelt lag raha hai.. ye cheelu kab se feel karne lag gaye?
waise game to achcha khela gaya tha tere saath.. cheeluism ka kada sabak mila tujhe..
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