जगमग दीपो की एक माला....
आओ प्यारो खूब सजाओ ,
केवल प्रेम सहिष्णु राग का ...
कोमल ढोलक आज बजाओ |
अन्धकार का दमन करें हम ..
नव ज्योति से यही है आशा ,
धरा में किंचित स्थान न छूटे ..
आज हमारी ये अभिलाषा |
राम चरण पड़े थे कभी अब ..
हमें है दौड़ में आगे आना,
सुंदर भारत अपना भारत ..
जिसे रामराज्य है हाँ बनाना |
खील समान उज्जवल हो जीवन ...
बताशों की खनक भी चहके ,
मिष्ठानों के इस मेले में ...
सर्व जन खुशबू बन के महके |
मिलकर रहें सभी भल मानुष...
हिंसा का अब न हो प्रसार,
उस जीत में क्या रखा है !!!!!
जिसमें मिले जीत कर हार |
हो सके तो इस दिवाली ...
यही बात सबको समझाओ,
छोड़ के सारे तोड़ के सारे ...
ताले आज वहाँ उड़ जाओ ..
जहाँ छुपा है रोशनी का ...
पुंज अनोखा, ये सिखलाओ ...
सूरज नही बन सकते हो तो ...
दीपक बन कर तुम दिखलाओ |
Wednesday, October 22, 2008
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment