Tuesday, December 30, 2008

सोमेश पारुल

ओस की बूंदें
मोती लुटा रही हैं...
समीर की बाहें,
कण कण जुटा रही है ...

एक ईश है जना जो,
वो सोम का प्रतिसाद है ..
सोमेश का ही गर्व है,
वो गर्व का ही नाद है ....

कुहासे की चादर तले,
इक मर्म पल रहा है ...
पारुल की एक छवि है,
जो स्फटिक छल रहा है |

श्वेत बर्फ ख़ुद में समेटे,
नीलिमा सा बन रहा है ...
सात रंग के सात भाव ,
स्व गात में छन रहा है |

इस मुग्ध दृश्य की वेदना में,
सोमेश का ही हृद खिला है ..
इस अलौकिक चेतना में,
पार कहीं एक उल मिला है |

ये दिवस का प्रतिसाद है ...
जन्मदिन कुछ ख़ास है ...
वर्ष की यादें पास है ...
अंतर्मन में परिहास है ..
मन में किसी का वास है |


सोमेश का मर्म,
अनूठा अनूप,
एक ब्रहम का अनुभव ...
दिव्य स्वरुप ...
नीर की खामोशी ...
जलोधि का उफान ..
असत्य की पराजय ..
सत्य का प्रमाण ..
पूरे मन से ...
तप से ..अर्पण से ...
बधाइयाँ ...जन्मदिवस के शगल की ..
जीवन में परिवर्तन युगल की |

1 comment:

Unknown said...

बहुत बढ़िया- जलोधि का अर्थ क्या होता है ? और गात का अर्थ?