Thursday, June 4, 2009

तत्त्व ...

कुछ नया सा ..ख्वाब सा ...
एक सत्व के आभास सा ...
एक भक्त की अरदास सा ..
एक भ्रमर के परिहास सा ..

एक नूर के आनंद सा ...
एक सुखमयी सानंद सा ..
एक भाव जो निर्बंध सा ..
एक सूर के उस छंद सा ...

एक जलोधि के आगोश सा ..
एक पयोधि से खरगोश सा ...
एक चेतन मन मदहोश सा ...
एक खग कलोल खामोश सा ...

एक वीणा की झंकार सा ...
एक रागों के अधिकार सा ...
एक शब्दों के संसार सा ...
एक लयबद्ध श्रृगार सा ...

एक परमाणु के से मर्म सा ...
एक मानवता के धर्मं सा ...
एक शर्माती सी शर्म सा ...
एक गीता के उस कर्म सा ...

जो तत्त्व है ...
जो सत्व है ...
जो ज्ञान है ...
संज्ञान है ...
जो द्रव्य है ..
न श्रव्य है ...
उस तेज को ...
पर सेज को ...
प्रणाम है ..
और चाह है ..
जिसको ढूंढती ...
ये राह है |

3 comments:

Pradeep CL said...

please convert the same in english

Nandan said...

bahut sundar!

Unknown said...

jalodhi ka arth?