वायु के समान जो ...
प्रचंड हो के चल रहा ..
मदमस्त गज की चाल में ..
बन प्रलय जो टल रहा ...
जो शेर की चिंघाड़ से ...
है चीरता वो चुप सा वन ...
जो खड्ग के प्रहार से ...
है भेदता वो भीरु मन ...
है रूप में चमक कहीं ...
है बात में खनक कहीं ...
नीड़ की उस टोह में ...
जो कर चले धमक कहीं ...
वो शौर्य का प्रतीक हैं ...
वो शहीदों का गीत है ...
मन से गर जो लड़ उठे तो ..
हार में भी जीत है ...
वो विजय का प्रमाण है ...
वो लक्ष्य भेदी बाण है ...
वो लहू का अभिमान है ...
वो मुकुटमणि की शान है ...
वो वीरता का दंभ है ...
वो अचल अटूट खम्ब है ..
वो कर्म से महान है ...
वो विश्व रूप ज्ञान है ...
उस शास्त्र को ..
उस अस्त्र को ...
प्रवीणता का भान है ...
तत्त्व का भी ज्ञान है ...
अंतिम ये प्रमाण है ..
कि वीर ही महान है ..
धीर ही महान है ...
गर्व ही महान है ...
शौर्य ही महान है |
Thursday, June 18, 2009
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3 comments:
bhai...aap ke book hi likh dalo apne kavitaon ki...
is tarah se blog mein daloge to sala koi aur copy karke book likh dalega...
bhaari hai .. ati sundar!
veer ras se bharpoor :)
Sanju da sahi kehte hain
Dhanyawaad bhai logo ...yaar mujhe lagta hai ki bhavnaaon par kisi prakaar ka bandhan nahi hona chahiye ..aur use sab tak pahunchnea chahiye ...kitab se achchaa madhyam blog hai isliye blog par likhta hoon ...
agar koi yahaan se nakal karke kitab nikalna chahe to uska swagat hai :) ...
kitab bhi likhunga lkein abhi kavita mein wo star nahi aaya hai :(
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