Thursday, June 7, 2012

भुट्टा

मेरे देश का भविष्य ..एक  बच्चा ..
मेरे घर के बाहर रहता है ..
पीछे वाली गली में एक फटी सी टाट पर बैठता ..
भुट्टे ले लो ..भुट्टे ले लो ...
कहता है !

अंगीठी में सिंक रहा भुट्टा ..
अपने साथ बचपन भी सेंक रहा है ..
सुनहरे दाने काले हो रहे हैं ..
सपनो की तरह उनके ..
और वो अनजाने में उनको फेंक रहा है |

पास में उसकी बहन बैठती है ..
चेहरा गोरा है पर हाथ काले हो गए हैं ..
चप्पल टूट गया था उसके पिछले महीने 
अब पैरों में छाले हो गए हैं |

उन पांच रुपयों में भुट्टा नहीं बिक रहा ..
दो  जिंदगियां बिक रही हैं  ..
फिर भी कार में आते उस 'कपल' को ...
भुट्टे में रंगीनियाँ दिख रही हैं |

क्या हमारा एहसास मर गया है ..
जो हमें कभी दर्द नहीं होता ?
या भुट्टे बेचने वाला वो बच्चा SUPERHUMAN है ..
जिसको गर्म  नहीं होता ..जिसको सर्द नहीं होता !

आजकल सबको 'स्वतंत्रता' चाहिए..
ओह सॉरी ! LIBERTY चाहिए ..
हर कोई अपने आप में यहाँ FORMAL है ..
एक झलक देखकर भुट्टा सेकते हाथों को ..
लगता सबको ..ये तो NORMAL है ..

प्रश्न तो फिर भी मेरी तरह पूछने वाले बहुत हैं ..
उत्तर की तलाश लेकिन कम ही लोग करते हैं ..
हर गली में एक भुट्टे बेचता बच्चा रहता है ..
हर गली में इंसान भावशून्य हो मरते हैं |

सरकार खुश होकर बताती है ..
RTE आ गया है ..अब देश अपना फलेगा 
मैंने भी गर्व से पुछा उसको ..
स्कूल क्यूँ नहीं जाते ?
खिसियाके वो बोला ..घर कैसे चलेगा ?

उत्तर तो मेरे पास नहीं था ..
न उनके पास जो कल देश चलाएंगे ...
वो फिर से भुट्टे बेचेगा ..
और तमाम  रिपोर्टों में हम ..
 DEMOGRAPHIC DIVIDEND लिख आयेंगे |

No comments: