Friday, August 24, 2012

आह्वाहन

कुछ बात जो है तुझमें ..
तो कर के तू दिखा दे ...
मौत का फलसफा ...
हंस के तू सिखा दे |

यूँ दीन बन के क्या तू ..
रोता रहा है हर पल ..
आंसू नहीं हैं जीवन ..
ये बात तू बता दे |

जिन्दा रहा तो क्या है ..
मुर्दा अगर जिगर है ?
वो जोश वो जवानी ..
वो हौसला किधर है ?

सोचने का मौका ..
मिलता बहुत है प्यारे ..
जो कर के तू दिखाये ..
तो ख्वाब सच हों सारे |

परिवार का तराना ..
गर यूँ ही लोग गाते ..
तो होता क्या सिकंदर ?
क्या भगत सिंह आते ?

है देश से मोहब्बत ..
तो मत में तू चले चल ..
जीतना है बोल दे ..
गर राह में मिले पल |

राहू को पकड़ के ..
क़दमों तले झुका दे ..
शनि की जकड के गर्दन ..
हिसाब तू चुका दे |

रेखाएं जो हैं खाली ..
तो चीर के दिखा दे ..
बहा के खूं की धारा ..
नयी किस्मतें बना दे |

हारना तो प्यारे ..
जीत का जनम है ..
मंजिलें है तेरी साथी ..
और रास्ता सनम है |

तो डर के क्यूँ है जीना ?
क्यूँ घूँट दुःख के पीना ?
गुनगुना नया तराना ..
सुने जो ये जमाना ..
वादा जो अब किया है ..
तो खुद से तू निभाना |

सरगम कोई नयी सी ..
अब राह में बजा ले ..
मंजिल मिले या न अब ..
चलने में ही मजा ले|

मरते समय जो तुझको ..
अफ़सोस न हो प्यारे ..
वो जिंदगी तू जी ले ..
एक घूँट ऐसा पी ले |

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