Saturday, October 3, 2015

मौजूं















मेरी साँसों को घोल के गिलास के मौजूं में
आज उसने नयी नयी सी शराब बनायी है ।

नए इश्क़ का मौसम है जवां जवां
कुछ बदली बदली सी वो भी नजर आई है ।

मुझसे बिछड़ के आईने में इतराते हैं तेवर
ये कैसी मोहब्बत थी ! ये कैसी जुदाई है !

 मोहब्बत में तो फ़ना होने का उसूल मुनासिब है
गलत वो समझ बैठे , सजा हमने पायी है ।


मेरी मौत पर जश्न का इंतजाम करो यारो
जाम उठाओ की आज मेरी रूह की रिहाई है ।

मेरे क़त्ल का इल्जाम मेरी ही बेवफाई के सर है
उसने बड़ी शिद्दत से अपनी वफ़ा निभायी है ।

उसके आशिकों को देखो आज कफ़न काम पड़ गए
वो खुदा थी इनकी , ये उसकी खुदाई है ।

मेरे जिस्म पर कफ़न चढाने का बहाना ये नया है
फिर क़त्ल करने खंजर नया, बड़ी दूर से वो लायी है ।

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