Saturday, October 3, 2015

नूर















वजह नहीं है आपसे वफ़ा करने की कोई
पर आप जैसा कभी कोई मिला नहीं है ।

मोहब्बत से महरूम था ताउम्र धड़कता दिल मेरा
दिल से पूछो ज़रा, इसको कोई गिला नहीं है ।

आपके झूले की डाली देखो बेरंग सी हो गयी
कोई पत्ता हिला नहीं है , कोई फूल खिला नहीं है ।

आपके नूर की बारिश को , कैद कर सके दीवारों में
ऐसी कोई जगह नहीं है , ऐसा कोई किला नहीं है ।

आपकी याद की पनाह में , आबाद है जिंदगी मेरी
मुलाकातों का अभी तक, कोई सिलसिला नहीं है ।

एक बार चाँद को , देख कर खिलखिला दिये
वो आज तक अहले वफ़ा , आसमां से हिला नहीं है ।





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