एक पंछी उड़ चला है अपने आशियाने की ओर,
देखने वो मासूम शाम और सुहानी भोर .........
देश की पवित्रता को महसूस करने की चाह है ..
हाँ मेरे घर की ओर मुडती वो राह है ....
यूं तो नहीं आना चाहता हूँ मैं मुर्दों के शहर में फ़िर से....
लेकिन जीवन जीने की बस यही राह है !
Tuesday, April 1, 2008
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