मंद समीर के झोंके पंखे झला रहे हैं ..
समृद्धि-औ-सुख पास आ रहे हैं ...
मुकुटमणि की शिरोमणि से प्रकाश आ रहा है ..
दुःख दर्द कालिमा सम कहीं दूर जा रहा है ...
क्षितिज में हिमगिरि-जलाधि-नभ कीर्त कर रहे हैं ...
'नेत्रा' - 'नेत्र हैं अनेक' जिनके रोशनी भर रहे हैं ...
कंटकों से रहित जीवन में हों शुभ भावनायें..
IFS की और से जन्मदिवस की ढेर सारी शुभकामनायें |
Thursday, April 10, 2008
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