अँधेरा मेरे साथी बन गया दोस्तों ..
कि अब नींद सी आने लगी है |
इंतज़ार किया उनका नशे में पैबस्त होकर ..
कि अब जान सी जाने लगी है |
मैंने काट ली अपनी फसल सूखी यारो ..
कि अब बदरी सी छाने लगी है |
मेरे हंसने की आवाज छीनकर यारो ..
देखो ! आज बेवफा गाने लगी है |
कितने रोजे रख लिए 'चीलू' ने उसके लिए ..
कि वो फिर से निवाले खाने लगी है |
मुझे जख्मो के सूखने का इन्तजार है ..
वो नमक कहीं से लाने लगी है |
Friday, July 8, 2011
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1 comment:
बेहतरीन रिखरी भैया!! मज़ा आ गया.. बेवफाई पर कटाक्ष किया है आपने तो :)
पर ये चीलू कौन है? संजीव भैया?
परवरिश पर आपके विचारों का इंतज़ार है..
आभार
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