ये कविता उस बहादुर लड़की को समर्पित है जिसने आज अपने जीवन की अंतिम सांस ली है । उसकी आत्मा की शांति के लिए और इस दुनिया में इंसानियत को फिर से वापिस लाने के लिए आइये मिलकर प्रार्थना करें ।
प्रथम भाग ..
काली अंधियारी रातें हैं
हर ऒर सिसकती सांसें हैं ..
वो देखो घर फिर उजड़ गया ..
तिनका तिनका वो बिखर गया ।
ये मंद हवा तूफ़ान बनी ..
चलते चलते वो भटक गयी ..
उस फूल ने लड़ना चाहा पर ..
ये बात ही उसको खटक गयी ..
उस पुष्प का मर्दन मान हुआ ..
तूफ़ान को फिर अभिमान हुआ ..
वो पुष्प लड़ा जीवन के लिए ..
जीवन लेकिन वो हार गया ..
वो उस अनंत के पार गया ..
द्वितीय भाग ...
जहां सब कुछ सुन्दर अच्छा है ..
जहां हर दिल मधुरिम सच्चा है .
जहां नए पुष्प भी खिलते हैं ..
जहां बिछड़े फिर से मिलते हैं ।
जहां कोई दरिंदा कहीं नहीं ..
जहां गंगा फिर से शुद्ध बही ..
जहां मुस्कानों को मोल मिले ..
जहां खुशियाँ भी अनमोल मिले ।
जहां धर्म नस्ल और जात नहीं ..
जहां अँधेरी ये रात नहीं ..
जहां कोयल अभी भी गाती है
माँ हर पल लोरी सुनाती है ।
जहां बड़ा कोई न छोटा है ..
जहां निर्बल कोई न होता है ..
जहां मोर पंख फैलाता है ..
और सुन्दर नाच दिखाता है ..
जहाँ बंसी कान्हा बजाता है ..
जहां राम वचन को निभाता है ..
जहां रावण भी बस ज्ञानी है ..
जहां दुःख बस एक कहानी है ।
तृतीय भाग ..
अच्छा हुआ तू चला गया ..
ये दुनिया तेरे योग्य नहीं ..
ये फिजा बड़ी जहरीली है ..
कुछ भी तेरे भोग्य नहीं ।
तेरे जैसे लाखों पुष्प यहाँ ..
रोज सिसकियाँ भरते हैं ..
पंखुड़ियां हिलती हैं बेबस ..
रोज रोज वो मरते हैं ।
यहाँ मानव नहीं हैं दानव हैं ..
जो अट्टाहस बस करते हैं ..
तेरे रक्षक बैठे कोनो में ...
काला मुख करके डरते हैं ।
तुझमें लड़ने की हिम्मत तो थी ..
यहाँ तो सारे कायर हैं ..
तू देख रहा होगा उस जग से ..
बिना लड़े ही घायल हैं ।
ये तेरा दुःख तो मनाएंगे ..
ये तुझको तुझ पे चढ़ाएंगे ...
ये बातें बड़ी करेंगे अब ..
फिर तुझको यूँ ही भुलायेंगे ।
अंतिम भाग ..
मेरा तुझसे ये वादा है ..
माली बन तुझको सींचूँगा ..
जिस डाली से तू अलग हुआ ..
उस डाली को मैं खींचूंगा ..
उस ओर जहां पर सूर्य नया ..
तेरे ऊपर फिर से चमक उठे ..
एक बीज नया भ्रमर ले आये ..
तेरा चेहरा फिर से दमक उठे ।
जब तक मेरी सांस चलेगी ..
मैं वचन निभाऊंगा ..
और तुझसे मिलने पर उस जग में ..
यही गीत मैं गाऊंगा ..
हाँ यही गीत मैं गाऊंगा ।
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