मैं ..
अकेले शहर में ....
अकेले घर में ...
अकेले दिल में ...
अकेली धड़कन में
तेरी तड़प को तड़प कर कभी
महसूस करता हूँ
स्पंदनो की छुहन
बड़ी अजीब है ..
मुझे मेरे होने का एहसास दिलाती है
जिंदगी जीने की आस जगाती है ।
अस्तित्व ही मेरा ..
तू है !
या तेरा मैं !
ये प्रश्न फिर पूछ कर उस अकेले दिल से ..
फिर अकेला मैं हो जाता हूँ यहाँ ..
अकेले दिल में ...
अकेले घर में ..
अकेले शहर में ..
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