घंटों की झंकार है ...
पुष्पों का मनुहार है ...
हाथ में चक्र लिए देखो !!
तेज किस पर सवार है ?
सर्पों की फुंकार है ...
वीरों की हुंकार है ..
हो रही है निनादित दिशायें !!
जाने किसकी चहुंकार है ?
पीछे देखो काल है ...
पद तले पाताल है ...
त्रिशंकु सम काबिज़ यहाँ !!
जाने किसकी चाल है ?
मदमस्त गज सा बढ़ चला ..
दिखलाता जग में अद्भुत कला ...
सवाल फ़िर छोड़ गया मन में !!
किसका भाग्य किस पर फला ?
वो पराक्रमी है अद्भुत ...
क्या उसका नाम है ...
जवाब मिल गए हैं सबको !!
उनको प्रणाम है ...
उनका अभिज्ञान है ..
उनका सम्मान है ..
वो ही परिणाम है ..
वो ही अंजाम हैं ..
प्रथम किरण से जागती ..
वो अनूठी शाम हैं ..
सत्य मेव जयते में लिप्त
एक तत्त्व ज्ञान हैं !!
Wednesday, September 3, 2008
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2 comments:
बढिया लिखा।
dhanyawaad
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