Monday, November 19, 2012

अल्फ़ाज


मोहब्बत
मोहब्बत चीज ही अलग सी है ..
बस ठन जाती है 
कभी दर्द तो कभी दवा बन जाती है |

VIRUS
VIRUS तो देखा मोहब्बत का 'बेनाम सा'..
न दिखता था ! न बिकता था !
दिलो के बाजार में | 

मोहब्बत
 ये तो मोहब्बत है न !
 इसकी थाह नहीं है ..
वक़्त के पैमाने पर मापने चलो ..
गर दिल में 'आह' नहीं है |
वैसे भी वक़्त के लिए वक़्त निकलने की ..
अब मुझमें चाह नहीं है |

आंसू
तेरी पलकों में दो आंसू हैं दिखते आज मुझे ..
लगता है कहीं तो जलजला आया होगा ..
कहीं तो बरसात हुई होगी |

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