Monday, November 19, 2012

तन्हाई


आलम
आज तक जुदाई का आलम समझ में न आया ..
उन्होंने भी पूछा "क्या बात है ?"
हमने भी पूछा "क्या बात है ?" 

लब्ज 
आज जी करता है अपने लब्ज नाम कर दूं तेरे ...
तू दिल में उतरते रहना तू दिल में बिखरते रहना |

तासीर 
मैं प्यार हूँ ! पर मेरी तासीर अजीब है ..
पल में आबाद कर दूं 
पल में बर्बाद कर दूं |

बारिश 
कल फूलों कि बारिश हुई थी शहरे वतन में ..
सुना है तू जी भर के खिलखिलाई थी |

बादशाह 
बेनाम बादशाह की तरह आ गए दरबार में 
पर सुबह नहीं बस रात होती है मेरे देश में !

तन्हाई 
ये सुबह भी कैसी अजीब है ! शाम की तन्हाई सी ..
वो ओस के साथ खिली है देखो कली घबराई सी |

गजल 
तू गजल है मेरी,  यकीन न हो तो देख !
हर पैंतरे पर महफ़िलें ताली बजाती है | 

महफ़िलें 
मेरी दोस्ती की कसम है तुझे मेरी याद रखना ..
महफ़िलें फिर से जमेंगी गजलें लेकिन आबाद रखना |

चांदनी 
कल अमावस थी पर चांदनी सी छायी थी ..
चाँद बन कर जो तू छत पर आई थी |

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