Monday, November 19, 2012

सादगी


दर्द 
ये दर्द ऐसा है जो बयाँ नहीं होता ..
सूखा पत्ता है वो कभी जवाँ नहीं होता |

 अकेले
आसमां पर जाकर भी कभी तेरे आगोश में होते थे ..
आज धरती पर हैं और देख ! कितने अकेले हैं |

इश्क 
बाजारों में बिकने वाली चीज गर इश्क होती ..
तो कौड़ियों के भाव बिक जाते  उसके लिए |

नजर 
लोग कहते हैं कि उसकी आँखों में जादू है ..
मुझे तो बस मैं नजर आता हूँ |

रूह 
वो परदे में था, हुस्न का सरताज सा ..
वो फिजा में था , रूह की आवाज सा ..

इल्जाम 
धोखा देने का इल्जाम मुझ पर भी है ..
खुद को बर्बाद किया है सजा क्या होगी ?

कविता 
उसने कहा था मुझे एक कविता बनाने को ..
मैंने हौले से कहा "तुम्ही कविता हो |" 

सादगी 
आज भी हुस्न मदमस्त हो बरसता है बाजार में ..
पर तेरी सादगी खोजता हूँ वो ही नहीं मिलती |

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